जैन धर्म की संपूर्ण जानकारी Jen them get some parmesan garlic

 जैन धर्म 

 जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव या आदिनाथ के नाम से जाना जाता है 22 के तीर्थ कर अरेस्टी नेवी तथा 23 बैठे टिकट पार्श्वनाथ को माना जाता है 

जैन धर्म संस्थापक। ऋषभदेव ऋषभदेव
22 बे तीर्थकर      अरेस्टी नेमी फॉरेस्ट इन नेवी
23 बे तीर्थकर।  पार्श्वनाथ पार्श्ववनाथ
24 बे तीर्थकर।   महावीर स्वामी  स्वा्ाा्जैन धर्म की संगीतियां जैन






जैन धर्म की संगीतियां जैन

जैन धर्म की जानकारी बदरवा ओके कल सूत्र से मिलती है गीता या भगवत सूत्र कहा जाता है जिस के संस्थापक ऋषभदेव ऋषभदेव के उपनाम पुराणों में आदिनाथ भगवत गीता में विष्णु का अवतार यूजर वेदना आदिनाथ कहा जाता है जैन धर्म के 22 वर्ष की नेमी जी ने संपूर्ण ज्ञान की जानकारी कल्पसूत्र से मिलती है उपनाम बलभद्र भागवत गीता में बासुदेव का बड़ा भाई बताया गया 23% थी 
23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म काशी के वाराणसी में हुआ था तथा पिता आशीष सेन राजा बाबू को वंश के राजा था तथा माता बामा देवी पार्श्वनाथ में सन्यासी जीवन 30 वर्षों की तपस्या के बाद इन्हें ज्ञान की प्राप्ति समवेत पर्वत झारखंड में 83 दिन में हुई जिन के अनुयाई महावीर के पिता सिद्धार्थ थे पार्श्वनाथ के चार अनुव्रत थे नंबर एक पर इंसान ना करना आज तू छोरी ना करना सत्य सदा सत्य बोलना है परिसंपत्ति जैन धर्म को मानने वाले राजा थे वहीं राजा चंद्रगुप्त मौर्य कालीन खारवेल उत्कृष्ट राजा और चंद आल

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी

जैन धर्म के 24 पर तीर्थ कर महावीर स्वामी थे जिनकी वाह साहब प्राकृतिक आमंत्रित कर का अर्थ था भवसागर को पार उतारने वाला महावीर का जन्म 540 कुंडल ग्राम वैशाली में हुआ था इनके पिता का नाम सिद्धार्थ जज जातक बज्जी संघ के मुख्य थे माता त्रिशला राजा चटक की बहन की उपनाम वर्धमान बड़ा भाई नंदी वर्धन की अनुमति से गृह त्याग विवाह यशोदा नामक राजकुमारी जो समरवीर की पुत्री थी यशोदा की एक पुत्री थी जिसे अनुजा प्रियदर्शनी के नाम से जाना जाता है महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्ति 12 वर्षों की तपस्या के बाद जामिया ग्राम के निकट त्रिभुज पालिका नदी साल वृक्ष की प्राप्ति के ज्ञान के बाद महावीर जैन ने विजेता यानी अपने इंद्रियों को जीतने के कारण ज्ञान की प्राप्ति हुई ग्रंथ को नहीं कहा जाता है प्रथम उपदेश राजगिरा के समीप महावीर स्वामी प्रथम महावीर स्वामी के शिष्य ज्ञान थे जिनेंद्र कहा जाता था 40 में 10 की मृत्यु के जीवनकाल में ही हो गई थी जीवित से से आर्य सुधर्मा एक ऐसा था जो महावीर की मृत्यु के पश्चात भी जीवित रहा इसने भगवती सूत्र की रचना की जैन धर्म का प्रथम थोड़ा उपासक आर्य सुधर्मा भवसागर से पार उतारने वाला प्रथम जैन नरेश दीवान की पुत्री चंपा थी बेसन की प्रधान चंदना थी


श्रावक को शराब की      यह ग्रस्त जीवन में रहते हुए जैन धर्म की शिक्षा का पालन करते थे
बिच्छू जब एक चुनी। यह जो महावीर के व्यापार सब नाथ दोनों के शिक्षाओं का पालन कर देते हैं वह विष्णु कह रहे थे मैं ₹500 तो का पालन करना पड़ता था



जैन धर्म की संगीतियां जैनजैन धर्म की संगीतियां जैन

प्रथम संगीत 300 ईसापुर पाटिल ग्राम स्थल भद्र मौर्य काल
दूसरी संगीति 512 इस अपूर्व बल्लवी गुजरात श्रवणबेलगोला
जैन धर्म प्रथम समिति 300 ईसापुर पाटिल ग्राम स्थूलभद्र 300 पूर्ण भगत में 12 वर्षों का विवरण अकाल पड़ा जिसमें चंद्रगुप्त मौर्य के कारण भद्रबाहु अपने शिष्य को कर्नाटक के श्रवणबेलगोला सन लेखन विधि से शरीर का त्याग जब वह से वापस लौटे तो जैन धर्म भद्रबाहु लोटे जैन धर्म दो भागों में बट गया सितंबर और दिगंबर
सितंबर श्वेतांबर जो श्वेत वस्त्र धारण करते थे तथा इसे संवेद बाय स्थूलभद्र कहा जाता है
दिगंबर। जिन्होंने अपनी दिशाओं को ही अपना बस तुम आना वह भद्रबाहु किसी से कह रहा तेरे इसक एक ग्रंथ कल्पसूत्र जिसकी जानकारी मिलती है संस्कृत में लिखा हुआ जैन धर्म में साहित्य को आगमन 
जैन धर्म में पांच प्रकार के ज्ञान का उल्लेखजैन धर्म में पांच प्रकार के ज्ञान का उल्लेख
मती मतीमती मती     इंद्रियों जो इंद्रियों से शिक्षक या
श्रुतिश्रुति।         सुनकर जो ज्ञान प्राप्त कर
अभी अभी। दिव्य ज्ञान दिव्य ज्ञान
मन प्रिया।   अन्य व्यक्तियों के मन में मासिक का ज्ञान
केवल ले गया  पूर्ण ज्ञान 
जैन धर्म के 3 रतन हैं

सम्यक दर्शन।   ज्ञान की प्राप्ति श्रद्धा ही दर्शन है संत में विश्वास ही सम्यक ज्ञान है

सम्यक ज्ञान।   सत्य सत्य का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है 

सम्यक आचरण   बुरे कार्य स्वयं सहित पर मनुष्य का आचरण

जैन धर्म का आश्रम सांख्य दर्शन से प्राप्त किया जा सकता है आध्यात्मिक विचार है जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं आत्मा की मान्यता है पुनर्जन्म पर विश्वास करते थे सप्त भंगी ज्ञान को अपने 8:00 के बाद आने का वादा मैसूर के गंग वंश में कर्नाटक के बाहुबली की श्रवणबेलगोला में शताब्दी के मध्य गढ़मुक्तेश्वर की मूर्ति का निर्माण कराया गया गुजरो में सर्वप्रथम जैन मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के शासकों ने कराया मथुरा जैन धर्म जैन धर्म से है जैन धर्म की विविध जानकारी व दबाव के कल सूत्र से गीता या भागवत से मिलती है ऋषि देव के आदि पुराणों में भागवत गीता में आयुर्वेद में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं जबकि दूसरे अजीतनाथ भी इसी नाम से जाने जाते हैं 22:00 बजे तीर्थ का संपूर्ण ज्ञान की जानकारी कल सूत्र से मिलती है उपनाम बलभद्र भागवत गीता में वासुदेव का बड़ा भाई बताया गया है 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जैन का जन्म काशी वाराणसी में हुआ पिता शिव जयंती राजवंश के राजा थे माता देवी की जीवन त्याग कर दिया था ज्ञान खंड में 83 दिनों में महावीर के पिता सिद्धार्थ थे जैन धर्म को मानने वाले राजा उदयन बद राजा चंद्रगुप्त मौर्य कालीन खारवेल राष्ट्रपुत्र आजा पवन चंदेल जा सकत

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